Thursday, June 26, 2008
Tuesday, June 24, 2008
जमींदार
जमींदार के तीन बेटे थे /
जमींदार के बेटे हमेशा झाड़ते रहते थे /
जमींदार बहुत अमीर थे /
क्यों की वे हर मन ली/
लार्कों के झगड़ रहे थे /
जमींदार के बेटे ने अपने पिता को ने झगड़ का बजन दिया/
जमींदार के बेटे हमेशा झाड़ते रहते थे /
जमींदार बहुत अमीर थे /
क्यों की वे हर मन ली/
लार्कों के झगड़ रहे थे /
जमींदार के बेटे ने अपने पिता को ने झगड़ का बजन दिया/
Monday, June 23, 2008
सोलो कातरो दिअस mas
जमींदार के तीन बेटे थे । जमींदार दुःखी क्यों था कीओंकी उसके बेटे हमेशा कोप के सौथ बोट करते हें।
गांव के लोग जमींदार को सबसे सुखी इंसान क्योंकि वह के pas बहुद पैसे समझते थे । जमींदार लकड़ियों का गट्ठर लाय वह एकता में बल है पसंद हें। ज़मींदार के बेटे लकड़ियों का गट्ठर क्योंकि एकता में बल है नहीं तोड़ सके।
लकड़ियों का गट्ठर खोलने के बाद लकड़ियों टूटी क्योंकि ले आना विचार से शक्ति।
बड़े बेटे ने जमींदार के अपने पिता से पूछा क्या यह काम बेकार था ।
जमींदार ने अपने बेटे को सिखाना समझ जवाब दिया।
जमींदार के बेटों ने अपने पिता को समझ और ढंग से बैत ने वचन दिया।
इस कहानी से हमें नहीं डर तुब नहीं टूट जाना शिक्षा मिलती है।
गांव के लोग जमींदार को सबसे सुखी इंसान क्योंकि वह के pas बहुद पैसे समझते थे । जमींदार लकड़ियों का गट्ठर लाय वह एकता में बल है पसंद हें। ज़मींदार के बेटे लकड़ियों का गट्ठर क्योंकि एकता में बल है नहीं तोड़ सके।
लकड़ियों का गट्ठर खोलने के बाद लकड़ियों टूटी क्योंकि ले आना विचार से शक्ति।
बड़े बेटे ने जमींदार के अपने पिता से पूछा क्या यह काम बेकार था ।
जमींदार ने अपने बेटे को सिखाना समझ जवाब दिया।
जमींदार के बेटों ने अपने पिता को समझ और ढंग से बैत ने वचन दिया।
इस कहानी से हमें नहीं डर तुब नहीं टूट जाना शिक्षा मिलती है।
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